Waqf Amendment Bill LIVE : वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस: जयराम रमेश ने सरकार पर साधा निशाना
Waqf Amendment Bill LIVE /नई दिल्ली : कांग्रेस ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने गुरुवार देर रात इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संविधान पर एक और हमला है। रमेश ने साफ शब्दों में कहा, “संविधान पर सरकार के हमलों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
बिल का पारित होना और विवाद
वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में बुधवार देर रात 12 घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया था, जिसमें 288 सांसदों ने पक्ष में और 232 ने विरोध में वोट दिया। इसके बाद गुरुवार देर रात यह बिल राज्यसभा में भी पास हो गया, जहां 128 सांसदों ने समर्थन और 95 ने विरोध में मतदान किया। इस बिल को लेकर विपक्ष शुरू से ही सरकार पर हमलावर रहा है। कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के दलों ने इसे संविधान विरोधी और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया है।
जयराम रमेश का बयान
जयराम रमेश ने कहा, “वक्फ (संशोधन) बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में जबरन पास कराया गया। हर धारा पर विस्तृत चर्चा नहीं हुई। यह बिल संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर सीधा हमला है। हम इसे लागू नहीं होने देंगे और जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में इसकी संवैधानिकता को चुनौती देंगे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने विपक्ष के सुझावों को नजरअंदाज कर इस बिल को ‘बुलडोजर’ की तरह आगे बढ़ाया।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस का कहना है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के अधिकार की गारंटी देते हैं। पार्टी नेताओं का दावा है कि बिल में वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम करने और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे प्रावधान अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर कुठाराघात हैं। कांग्रेस ने इसे न केवल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है।
आगे की रणनीति
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक और अब अदालत तक ले जाएगी। उन्होंने एनडीए के सहयोगी दलों, खासकर टीडीपी और जेडीयू, से भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। पार्टी का मानना है कि यह बिल न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता, बल्कि संघवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे संवैधानिक मूल्यों को भी कमजोर करता है।
सरकार का पक्ष
दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार रोकने और संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति केवल प्रशासनिक सुधार के लिए है, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए।