SAHARSA NEWS,अजय कुमार : हिंदी विभाग, पश्चिमी परिसर, पीजी सेंटर में शुक्रवार को एक एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। साओ पाउलो विश्वविद्यालय, ब्राजील के पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता और विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. शशि जायसवाल ने ‘ब्राजील एवं लैटिन अमेरिका में हिंदी का वर्तमान और भविष्य’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।डॉ. जायसवाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि ब्राजील में योग, वैदिक मंत्र, भारतीय दर्शन, आयुर्वेद आदि का बहुत क्रेज है। पर्यटन की दृष्टि से भी लोग हिंदी के प्रति आकर्षित हैं। हिंदी वैश्विक पहचान की भाषा है लेकिन ब्राजील एवं लैटिन अमेरिका में हिंदी का तेजी से फैलाव नहीं हो रहा है। इसका मूल कारण नौकरशाही और अंग्रेजी मानसिकता है। ब्राजील में भारतीय दूतावास के अधिकारी ही हिंदी के प्रति उपेक्षा का भाव रखते हैं। इसके बावजूद ब्राजील में अब हिंदी बोलने, सिखने और पढ़ने की तीव्र ललक बढ़ी है।
विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा कि हिंदी बोलियों की समवाय है। पूर्वी हिंदी, पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, नेपाली और बिहारी भाषा की गणना हिंदी के अंतर्गत होती है। हिंदी विश्व की सृजनात्मक सांस्कृतिक भाषा है।परिसर प्रभारी डॉ इम्तियाज़ अंजुम ने भाषा विज्ञान की कसौटी पर हिंदी और अन्य भाषाओं का विश्लेषण करते हुए अपनी बात रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. लाला प्रवीण कुमार सिन्हा ने ब्राजील में हिंदी और भारतीय संस्कृति के प्रचार के लिए डॉ. जायसवाल की सराहना की। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डॉ. श्रीमंत जैनेन्द्र ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अणिमा ने किया।इस अवसर पर गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ मुकुंद कुमार, शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार, महासचिव डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष डॉ श्याम मोहन मिश्रा, मैथिली विभाग के अध्यक्ष डॉ रमणकान्त चौधरी, डॉ मयंक भार्गव, डॉ आर्य सिंधु, डॉ प्रीति गुप्ता, डॉ गीता, डॉ कविता, सुश्री ममता रानी, मुख़्तार आलम, आशीष, प्रभात, सुनील सिंह, शिवजी, सुरेन्द्र और अशोक मल्लिक, शिफन, गुड़िया, कोमल, नीतू, अंशु, निशा निहारिका, ज्योति, अर्चना, गौरव, अक्षिता, अंजलि राहुल, स्वीटी, अंकेश, दिपेन्द्र, सूरज इत्यादि शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे।
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