खुश्की बाग ओवरब्रिज पर प्रशासन की लापरवाही से जनजीवन संकट में, भारी वाहनों पर रोक के लिए लगाई गई रेलिंग टूटी, बड़ी दुर्घटना की आशंका
पूर्णिया: पूर्णिया के खुश्की बाग रेलवे ओवरब्रिज पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 26 जून 2025 को लोहे की एक मजबूत रेलिंग लगाई गई थी, ताकि पहले से क्षतिग्रस्त ओवरब्रिज को और नुकसान से बचाया जा सके, लेकिन कुछ ही दिनों में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा इस रेलिंग को या तो जानबूझ कर तोड़ दिया गया या किसी भारी वाहन ने उसे टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि या तो कानून का डर खत्म हो गया है या प्रशासनिक व्यवस्था इतनी ढीली हो चुकी है कि अब कोई भी व्यक्ति खुलेआम नियम तोड़ने से नहीं हिचकता; यह भी आशंका जताई जा रही है कि उक्त रेलिंग को जानबूझकर तोड़ा गया है क्योंकि मौके की हालत और क्षति का स्तर देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे भारी बलपूर्वक क्षतिग्रस्त किया गया है, औ
र यदि यह वास्तव में किसी वाहन से टकराकर टूटी है तो उस वाहन को भी गंभीर नुकसान हुआ होगा, जिसकी जांच कर वाहन और चालक की पहचान की जा सकती थी, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रशासन अब तक न तो कोई कार्रवाई कर पाया है, न ही कोई CCTV फुटेज खंगालने का प्रयास हुआ है, न ही मौके पर स्थायी पुलिस या ट्रैफिक कर्मी की तैनाती की गई है, जिससे साफ प्रतीत होता है कि या तो प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ लिया है या इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, जबकि यह ओवरब्रिज हजारों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का मुख्य मार्ग है, जिससे ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, स्कूल-कॉलेज के छात्र, रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्री और बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस तक निर्भर हैं,
और इस रेलिंग के टूट जाने के कारण अब भारी वाहन फिर से इस ओवरब्रिज पर दौड़ने लगे हैं, जिससे पुल की संरचना को खतरा है और किसी भी दिन बड़ा हादसा घट सकता है, जिससे कई जानें जा सकती हैं; स्थानीय नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है और वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन तुरंत इस घटना का संज्ञान ले, दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करे, पुल पर मजबूत और स्थायी अवरोध लगाए, CCTV कैमरे लगवाए और नियमित पुलिस निगरानी की व्यवस्था करे, वरना जनता सड़क पर उतरने को मजबूर होगी क्योंकि जब शासन और प्रशासन जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल हो जाए, तो लोगों के पास विरोध ही एकमात्र विकल्प बचता है।