नई दिल्ली, संवाददाता: गैंगवार की दुनिया में कुख्यात नाम बन चुका नीरज बवाना मंगलवार को एक अलग ही रूप में नज़र आया — न कोई हथियार, न कोई गैंग, सिर्फ एक बीमार पत्नी की खैरियत जानने की जद्दोजहद। लेकिन जब बवाना बाहर निकला, तो दिल्ली की सड़कों पर ऐसा माहौल था जैसे किसी बड़े आतंकी को पेशी पर ले जाया जा रहा हो। सुरक्षा के इंतज़ाम इतने कड़े थे कि अस्पताल किसी युद्ध क्षेत्र की तरह लग रहा था।
- तिहाड़ से शादीपुर तक—सिर्फ एक मुलाकात के लिए ‘ऑपरेशन बवाना’!
दिल्ली हाईकोर्ट ने गैंगस्टर नीरज बवाना को एक दिन की कस्टडी पैरोल दी थी, जिससे वह अपनी पत्नी आरती से मिल सके, जो शादीपुर के एक अस्पताल के ICU में भर्ती है। इस मुलाकात का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक तय किया गया। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए थे—बवाना केवल पत्नी और डॉक्टरों से ही मिल सकेगा।पर ये कोई आम ‘मुलाकात’ नहीं थी। तिहाड़ जेल से लेकर अस्पताल के आईसीयू तक, पुलिस ने पूरे शहर को अलर्ट मोड पर डाल दिया। बवाना को एस्कॉर्ट कर रही पुलिस टीम में स्पेशल सेल, SWAT कमांडो, लोकल थाने के अधिकारी और इंटेलिजेंस यूनिट के अफसर शामिल थे। - अस्पताल या छावनी? आम लोगों की सांसें भी रुक गईं
अस्पताल का पूरा वार्ड पुलिस घेरे में था। जिन गलियारों से बवाना गुजरा, वहां आम मरीजों की आवाजाही को रोक दिया गया। हर फ्लोर पर हथियारों से लैस जवान तैनात थे। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को पहले से ही सख्त हिदायतें दी गई थीं कि किसी भी हाल में सुरक्षा नियमों का उल्लंघन न हो। पुलिस को इनपुट थे कि इस दौरान नीरज बवाना को छुड़ाने की कोशिश की जा सकती है या विरोधी गैंग हमला कर सकता है। इसलिए रास्ते में लगे हर CCTV कैमरे की लाइव फीड स्पेशल कंट्रोल रूम में मॉनिटर हो रही थी। कई जगहों पर पुलिस बैरिकेडिंग कर लोगों की तलाशी ली गई।
- पत्नी के लिए कोर्ट की दहलीज तक गया ‘गैंगस्टर’
सूत्रों के मुताबिक, बवाना ने कोर्ट में अर्जी दी थी कि उसकी पत्नी की तबीयत बहुत गंभीर है और वह ICU में भर्ती है, इसलिए उसे कम से कम छह हफ्तों की अंतरिम जमानत दी जाए ताकि वह उसकी देखभाल कर सके। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर केवल एक दिन का समय दिया, वो भी बेहद सीमित शर्तों के साथ। हालांकि बवाना ने अपनी ओर से कोई बखेड़ा नहीं किया। मुलाकात के दौरान वह पूरी तरह शांत रहा और पत्नी की हालत के बारे में डॉक्टरों से जानकारी ली। लेकिन जितनी देर वो अस्पताल में रहा, उतनी देर दिल्ली पुलिस की धड़कनें तेज रहीं। - वापसी भी उतनी ही हाई-वोल्टेज
शाम को जब बवाना को वापस तिहाड़ ले जाया गया, तो वही सुरक्षा कवच दोहराया गया। जिस रूट से वह लाया गया था, उसी रूट से बिना रुके और बिना रिस्क के उसे जेल वापस भेजा गया। अधिकारियों का कहना था कि किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूरी तैयारी थी — स्नाइपर्स तक तैनात थे।
गैंगस्टर की ‘इमोशनल साइड’ या कोई नई चाल?
अब सवाल ये उठ रहा है — क्या यह वास्तव में सिर्फ एक पति का अपनी बीमार पत्नी से मिलने का मामला था, या इसके पीछे कुछ और इरादे छिपे हैं? क्या ये गैंगवार की दुनिया में किसी नए समीकरण की आहट है? पुलिस इन तमाम एंगल्स की जांच कर रही है। नीरज बवाना फिलहाल 2015 के एक केस में बंद है, जिसमें आरोप है कि उसने जेल वैन में ही अपने विरोधी गैंग के सदस्य की हत्या कर दी थी। उसके खिलाफ दर्जनों संगीन मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे में उसकी ‘इमोशनल अपील’ को लेकर भी जांच एजेंसियां सतर्क हैं। इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली को यह याद दिला दिया कि भले ही गैंगस्टर जेल के भीतर हो, लेकिन उसकी मौजूदगी बाहर के सिस्टम को हिला सकती है। एक दिन की मुलाकात के लिए जिस तरह पुलिस को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी, वो बताता है कि नीरज बवाना जैसे गैंगस्टर की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है — ये सिर्फ एक और अध्याय की शुरुआत हो सकती है।