PURNEA NEWS – बदलते मौसम के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ने लगी हैं। खांसी-जुकाम जैसी आम दिखने वाली समस्याएं कई बार गंभीर रूप ले सकती हैं, जिनमें सबसे घातक है निमोनिया। यह रोग मुख्य रूप से जीवाणु या विषाणु संक्रमण के कारण होता है और खासकर छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया के अनुसार, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, और इसकी अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, सांस लेने की दर अधिक होती है, और वे निरंतर गतिविधियों में संलग्न रहते हैं जिससे वे धूल, मिट्टी और मौसम के बदलाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
डॉ. कनौजिया ने कहा कि यदि किसी बच्चे को बार-बार सर्दी, खांसी हो रही है या इन लक्षणों के ठीक होने में समय लग रहा है, तो बिना देरी किए चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों में ठंड लगना, बुखार, छाती में कफ जमना, सांस लेने में परेशानी और घरघराहट शामिल हैं। ऐसे में जल्दी जांच और उपचार को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है।
बचाव के उपायों पर जोर देते हुए सिविल सर्जन ने सुझाव दिया कि बच्चों के आसपास धूम्रपान, तेज इत्र, धूप या मोमबत्ती का प्रयोग न करें, उन्हें संतुलित आहार दें, छोटे बच्चों को नियमित स्तनपान कराएं, और बच्चों के खेलने के स्थान को स्वच्छ व हवादार बनाए रखें। साथ ही, बच्चों को हाथ धोने की सही तकनीक सिखाएं और खांसते-छींकते समय मुंह ढकने की आदत डालें। निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। मौसम के इस परिवर्तनशील दौर में बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
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