PURNEA NEWS : “पूर्णिया एयरपोर्ट: 10 वर्षों की उपेक्षा के बाद भी अधर में, चुनाव से पहले शुरू होने की उम्मीदें धूमिल”
PURNEA NEWS : एक दशक से भी अधिक समय से उपेक्षित पूर्णिया एयरपोर्ट परियोजना एक बार फिर चुनावी वादों और कागजी कार्यवाहियों के दलदल में उलझी नजर आ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री कार्यालय सहित तमाम जिम्मेदार संस्थाओं को भेजे गए पत्र में इस गंभीर देरी और प्रशासनिक उदासीनता पर कड़ा सवाल उठाया है।
यह परियोजना प्रधानमंत्री पैकेज बिहार 2015 का हिस्सा थी, जिसे राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से की कनेक्टिविटी और समृद्धि के लिए एक “लाइफलाइन” माना गया था। लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बावजूद एयरपोर्ट की जमीन, सड़क, पर्यावरण मंजूरी और बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े ज़रूरी कार्य अब तक अधूरे हैं।
जमीनी हकीकत और प्रशासनिक ढिलाई
श्रीवास्तव ने बताया कि एयरपोर्ट परिसर तक पहुँचने के लिए NH-31 से जुड़ने वाली चार लेन सड़क और एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल तक का निर्माण भी अधूरा है। इसके अलावा, इंडियन एयरफोर्स के बमडम क्षेत्र के पास बनने वाले अंडरपास को लेकर रक्षा मंत्रालय की मंजूरी लंबित है। इस वजह से आवश्यक संपर्क मार्ग भी बाधित है।
पर्यावरण मंजूरी और अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण में देरी
एक आरटीआई के जवाब के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने हाल ही में पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन किया है, लेकिन इस प्रक्रिया में लगने वाला लंबा समय एक और रुकावट बन सकता है। इसके अलावा, AAI द्वारा मांगी गई अतिरिक्त 15 एकड़ जमीन को लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई अभी तक अधूरी है, जबकि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना (11(1)) जारी हो चुकी है। सवाल यह है कि यह ज़मीन AAI को कब तक सौंपी जाएगी?
कागज़ पर पोस्टिंग, ज़मीनी स्तर पर सन्नाटा
AAI के जवाब के मुताबिक तीन वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए की गई है, लेकिन इन अधिकारियों की मौजूदगी और कार्य किसी भी स्तर पर दिखाई नहीं दे रही। इससे यह स्पष्ट होता है कि महज़ दिखावे के लिए नाम भर दिए गए हैं, जबकि जमीन पर कोई सक्रियता नहीं है।
प्रश्नचिन्हों के घेरे में एयरपोर्ट की शुरुआत
श्रीवास्तव ने यह भी पूछा है कि क्या एयरपोर्ट इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) जैसी आधुनिक सुविधा के साथ शुरू होगा या नहीं? साथ ही AAI की ओर से अब तक कोई आधिकारिक ट्विटर हैंडल या पब्लिक अपडेट भी जारी नहीं किया गया है, जिससे जनता तक पारदर्शी जानकारी पहुँच सके।
जन आकांक्षाओं की अवहेलना
पूर्णिया एयरपोर्ट के 100 किलोमीटर त्रिज्या में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल की करोड़ों आबादी निवास करती है। ऐसे में यह एयरपोर्ट केवल एक बुनियादी ढांचा नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी भारत की आर्थिक-सामाजिक जीवनरेखा बन सकता है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की उदासीनता से यह सपना अब भी अधूरा है।
श्रीवास्तव ने की उच्च स्तरीय बैठक की मांग
उन्होंने आग्रह किया है कि इस मामले में केंद्र सरकार उच्च स्तरीय समीक्षात्मक बैठक करे, ताकि परियोजना को युद्ध स्तर पर प्राथमिकता दी जा सके और विधानसभा चुनाव से पहले जनता को ठोस परिणाम मिल सके।