♦ अंग इंडिया प्रतिनिधि, नई दिल्ली: US-China Tariff War अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर ने अब खुला आर्थिक युद्ध रूप ले लिया है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर भारी शुल्क लगाकर संबंधों को और तल्ख बना दिया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा शुरू की गई इस टकराहट में अब चीन ने अपने मजबूत कार्ड खेलने शुरू कर दिए हैं—चाहे वो रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर रोक हो या फिर पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करना। बीजिंग ने अमेरिका की तकनीकी निर्भरता को भांपते हुए उन तत्वों के निर्यात पर रोक लगा दी है जो हथियारों से लेकर स्मार्टफोन तक हर चीज में इस्तेमाल होते हैं।
साथ ही, शी जिनपिंग वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया जैसे देशों के साथ आपूर्ति श्रृंखला को और मजबूत कर अमेरिका को अलग-थलग करने की कोशिश में जुटे हैं। चीन के पास अमेरिकी ट्रेजरी बिलों का विशाल भंडार भी है, जिसे बाजार में उतारकर वह डॉलर को कमजोर कर सकता है। वहीं अमेरिकी कृषि और टेक सेक्टर भी चीनी निशाने पर हैं—विशेषकर सोयाबीन, पोल्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र जो सीधे ट्रंप के समर्थन आधार से जुड़े हैं। ऐसे में चीन की यह रणनीति सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि दबाव बनाने की सोची-समझी योजना लग रही है।
Leave a Reply