शिक्षा के मंदिर में सियासी संग्राम: Purnea University में छात्र ने खोला भ्रष्टाचार और भेदभाव का मोर्चा
पूर्णिया, किशन भारद्वाज: Purnea University में 20 मई को उस समय विवाद खड़ा हो गया जब PAT-23 परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र राजा कुमार प्रवेश प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी के लिए कुलपति से मिलने पहुंचे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोप लगाया कि राजा कुमार ने जबरन कुलपति कक्ष में घुसने की कोशिश की, सुरक्षाकर्मी को धक्का दिया और दुर्व्यवहार करते हुए शिक्षकों को धमकी दी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई और पुलिस को बुलाना पड़ा। दूसरी ओर, राजा कुमार ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि वे सिर्फ जानकारी लेने गए थे और यदि किसी गार्ड से धक्का-मुक्की हुई है, तो विश्वविद्यालय सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनका मोबाइल जबरन छीन लिया गया और कुलपति को बंधक बनाने की बात निराधार है, क्योंकि उस समय कक्ष में कई लोग मौजूद थे। राजा कुमार ने मामले को केवल सुरक्षा उल्लंघन न मानते हुए इसे जातीय भेदभाव और प्रशासनिक भ्रष्टाचार से भी जोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपति कक्ष में मौजूद बजटिंग ऑफिसर सुनील कुमार ने उन्हें जातिसूचक भाषा में धमकाया और अनुशासनात्मक मामलों में कुलानुशासक के बजाय हस्तक्षेप किया, जो विश्वविद्यालय की प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़ा करता है।
इसके अलावा उन्होंने विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हुए पूछा कि घोषित परीक्षा परिणामों को क्यों बदला गया और फेल छात्रों के लिए संशोधित परिणाम क्यों जारी किए गए। इस घटना ने न केवल प्रशासन और छात्र के बीच टकराव को उजागर किया है, बल्कि विश्वविद्यालय के भीतर जातीय भेदभाव, जवाबदेही की कमी और पारदर्शिता जैसे मुद्दों को भी सतह पर ला दिया है। अब छात्र पक्ष निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन इसे अनुशासन और सुरक्षा का उल्लंघन बता रहा है। इस पूरे मामले में सच्चाई सामने लाने और विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, संवाद और न्यायपूर्ण प्रक्रिया बेहद जरूरी हो गई है।