रुपये की गिरावट: डॉलर के मुकाबले कमजोर क्यों हो रहा रुपया? जानिए इसके फायदे और नुकसान

नई दिल्ली (6 फरवरी 2025):  भारत में इन दिनों भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक चर्चा का विषय बन चुका है। पिछले कुछ हफ्तों में रुपये की गिरावट ने लोगों के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर रुपये की कीमत क्यों गिर रही है? क्या इसके फायदे भी हैं, और क्या इससे नुकसान हो सकता है? आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण और रुपये की गिरावट के फायदे-नुकसान।

रुपये की गिरावट के प्रमुख कारण

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती
    जब भी अमेरिका में डॉलर की डिमांड बढ़ती है, तो अन्य मुद्राएं, जैसे रुपया, कमजोर हो जाती हैं। वर्तमान में डॉलर की मजबूती के कारण रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।
  2. भारत का व्यापार घाटा
    भारत का व्यापार घाटा रुपये की गिरावट का एक बड़ा कारण बन चुका है। भारत को अधिक आयात करना पड़ता है, जबकि निर्यात कम होता है, जिससे विदेशी मुद्रा की मांग बढ़ती है, और रुपये की कीमत घटती है।
  3. तेल की बढ़ती कीमतें
    वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भी रुपये की गिरावट का कारण बन रही है। भारत तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और महंगा तेल रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है।

रुपये की गिरावट के फायदे

  1. निर्यातकों के लिए फायदेमंद
    रुपये की गिरावट से भारतीय उत्पाद विदेशों में सस्ते हो जाते हैं, जिससे निर्यात बढ़ सकता है। यह निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
  2. पर्यटन को बढ़ावा
    रुपये के कमजोर होने से विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों के लिए चीजें सस्ती हो गई हैं, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए भारत की यात्रा और सस्ती हो गई है, जिससे पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिल सकता है।
  3. विदेशी निवेश में बढ़ोतरी
    रुपये के कमजोर होने से विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में निवेश करना आकर्षक हो सकता है। विदेशी निवेशकों के लिए सस्ते रुपये के कारण निवेश का अवसर बढ़ता है।

रुपये की गिरावट के नुकसान

  1. महंगाई में बढ़ोतरी
    रुपये के कमजोर होने से आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जैसे तेल, गैस, खाद्य सामग्री, और अन्य कच्चे माल। इससे घरेलू महंगाई बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
  2. विदेशी कर्ज की लागत में वृद्धि
    जिन कंपनियों ने डॉलर में कर्ज लिया है, उनके लिए कर्ज चुकाना महंगा हो सकता है। रुपये की गिरावट से उन्हें ज्यादा रुपये चुकाने पड़ सकते हैं, जिससे कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ सकता है।
  3. विदेशी संपत्तियों में नुकसान
    रुपये की गिरावट भारतीय निवेशकों को विदेशी संपत्तियों में नुकसान पहुंचा सकती है। उनका निवेश अब पहले से कम मूल्य का हो सकता है, जिससे उन्हें घाटा हो सकता है।
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