PURNIA NEWS : रूपौली प्रखंड में आवारा कुत्तों का कहर, दहशत में जी रहे ग्रामीण
PURNIA NEWS, अभय कुमार सिंह : रूपौली प्रखंड में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि आमजन अपने घरों से निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं। कुत्तों के हिंसक झुंड गांव-गांव में घूमते हुए न सिर्फ लोगों पर हमला कर रहे हैं, बल्कि मासूम बच्चों और मवेशियों को भी बेरहमी से नोच-नोचकर मौत के घाट उतार रहे हैं। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोग अपने बच्चों और मवेशियों को अकेला छोड़ने से कतराने लगे हैं। प्रतिदिन औसतन 10 लोग और लगभग इतनी ही संख्या में मवेशी इन कुत्तों का शिकार बन रहे हैं। रेफरल अस्पताल और मवेशी अस्पताल की रिपोर्ट भी इस खौफनाक सच्चाई की पुष्टि करती है। सबसे ज्यादा हमलों की घटनाएं गोडियर और डोभा मिलिक पंचायतों से सामने आ रही हैं, जहां छोटे मवेशी, विशेष रूप से बकरी के बच्चे, इन हिंसक कुत्तों के आसान शिकार बनते हैं। बीते तीन महीनों में दो दर्दनाक घटनाओं ने पूरे प्रखंड को झकझोर कर रख दिया है। 22 जून को नाथपुर पंचायत के नवटोलिया गांव की छह वर्षीय बच्ची रूपा कुमारी पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। इसी प्रकार 20 फरवरी को इसी पंचायत के फुलकिया गांव में छह वर्षीय करण कुमार को भी आवारा कुत्तों ने घेर कर मार डाला। अगर समय रहते लोग नहीं पहुंचते, तो कुत्ते शव को भी खा जाते। ग्रामीणों का कहना है कि अब तो हालत यह हो गई है कि कुत्तों को देखते ही लोग डर से सहम जाते हैं और बच्चे बाहर खेलने तक नहीं जा पा रहे।
पशुपालक पदाधिकारी डॉ. रंजीत कुमार का कहना है कि कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या और भोजन की कमी उन्हें हिंसक बना रही है। भूख से व्याकुल होकर वे जो भी अकेला या कमजोर दिखता है, उस पर हमला कर देते हैं। ऐसे में इनका बंध्याकरण ही एकमात्र उपाय है जिससे इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। जब तक इनकी संख्या में कमी नहीं आएगी, तब तक ये हमले रुकने की संभावना नहीं है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए रूपौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक शंकर सिंह ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कुत्ते इंसानों और मवेशियों पर हमला कर रहे हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है और प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि वे खुद इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों से बात करेंगे और जल्द समाधान निकालने की दिशा में प्रयास करेंगे। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस भयावह संकट से लोगों को निजात दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं।