सीमांचल को पर्यटन की नई पहचान देने की पहल: सांसद पप्पू यादव ने की ₹1000 करोड़ की विशेष परियोजना की अनुशंसा
नई दिल्ली/पूर्णिया: पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सीमांचल की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की है। बुधवार को उन्होंने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात कर रानी पतरा सर्वोदय आश्रम के पुनरुद्धार और पूर्णिया के प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों को पर्यटन सर्किट में शामिल करने का आग्रह किया। इस क्रम में उन्होंने ₹1000 करोड़ की एक विशेष परियोजना की अनुशंसा भी की।
सांसद पप्पू यादव ने मंत्री को सौंपे ज्ञापन में बताया कि रानी पतरा सर्वोदय आश्रम एक समय खादी ग्रामोद्योग का बड़ा केंद्र था। 1984-85 तक यह आश्रम 22 तरह के लघु एवं कुटीर उद्योगों का संचालन करता था, जिनमें रेशम, खादी, जूट, तेल निष्कर्षण आदि शामिल थे। आश्रम की सालाना आमदनी उस समय एक करोड़ रुपये से अधिक थी और हजारों लोगों को इससे रोजगार प्राप्त था। उन्होंने कहा कि आज यह ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षित है और इसे फिर से जीवंत करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ खादी का केंद्र नहीं, सीमांचल की आत्मा है। यहां बापू की प्रेरणा से शुरू हुए इस आश्रम की ज़मीन पर विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे महान नेता आए थे। इसे फिर से खड़ा करना देश की विरासत को सम्मान देना है।” पप्पू यादव ने आश्रम के विकास के लिए एकीकृत योजना के तहत खादी प्रशिक्षण केंद्र, उत्पादन इकाइयाँ, स्वरोजगार केंद्र तथा महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने इस क्षेत्र को ग्रामीण पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत पर्यटन के रूप में विकसित करने की सिफारिश की।
इसके साथ ही उन्होंने पूर्णिया जिले के अन्य ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों — जैसे पूरण देवी मंदिर, जलालगढ़ किला, काझी कोठी, मनिहारी घाट, आदमपुर कला भवन, रानीसती मंदिर व पीर बाबा की मजार — का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये सभी स्थल न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के हैं, बल्कि स्थानीय लोककला, स्थापत्य और साम्प्रदायिक सौहार्द के भी प्रतीक हैं। सांसद ने बताया कि पूर्णिया की भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक समृद्धि, कृषि उत्पादकता और हस्तशिल्प परंपरा इसे पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। यदि इन स्थलों को आधुनिक बुनियादी ढांचे से जोड़ा जाए तो इससे हजारों युवाओं को स्थानीय रोजगार मिलेगा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि एक विशेष निरीक्षण दल भेजा जाए जो इन स्थलों का भौतिक सर्वेक्षण कर विस्तृत योजना बनाए और इसके आधार पर ₹1000 करोड़ की परियोजना को स्वीकृति प्रदान की जाए।
मुलाकात के बाद पप्पू यादव ने कहा,
“यह पहल केवल पर्यटन विकास की नहीं, बल्कि सीमांचल के गौरव की पुनर्स्थापना की है। हम चाहते हैं कि पूर्णिया न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए सांस्कृतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता का उदाहरण बने।”