पूर्णिया, विधि संवाददाता: मध्यस्थता राष्ट्र के लिए के तहत सोमवार को लॉयर्स मीटिंग हॉल में न्यायाधीशों के साथ अधिवक्ताओं ने गंभीर विचार विमर्श किया। मध्यस्थता समय की जरूरत है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राकेश कुमार व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिका सुनील कुमार और अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार तिवारी एवं उपाध्यक्ष ओमप्रकाश भारती ने अपने विचार व्यक्त किये और कुछ अधिवक्ताओं ने अपनी जानकारी हेतु कुछ सवाल किए जिसका जवाब परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने दिए। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक कैंपेन चलाने का निर्देश दिया गया है की न्यायालय में जितने भी सुलह योग्य वाद लंबित हैं उन वादों का मध्यस्थता करके निष्पादित करने की दिशा में अग्रसर हों।
इस दिशा में कुछ गाइडलाइन भी दिए गए हैं, वैसे टाइटल सूट में बटवारा का मुद्दा हो, मनी सूट, क्लेम के मामले, उपभोक्ता फोरम के मामले, शामनीय अपराधिक वाद, ऐसी वाद जिसमें न्यायालय का से इजाजत लेकर समझौता किये जा सकते हों और अन्य सुलह योग्य मामले में दोनों पक्षों को नोटिस देकर बुलाया जाए और प्रशिक्षि मध्यस्थ से दोनों पक्षों में सुलह समझौता कराने का प्रयास किया जाए। 18 जुलाई से इसकी शुरुआत कर दी जाएगी।
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने कहा आज के संदर्भ में ऐसा करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि विभिन्न न्यायालयों में लंबित मुकदमों का अंबार लगा हुआ है। उन्होंने तमाम अधिवक्ताओं से अनुरोध किया की पूरी तरह इसमें सहयोग करें और प्रत्येक अधिवक्ता कम से पांच मामले को चिन्हित करें। का प्रयास करें। 18 जुलाई तक ऐसे मामले को चिन्हित कर लें ताकी दोनों पक्षों को नोटिस देकर बुलाया जाए और उन्हें प्रशिक्षित मध्यस्थ सुलह समझौता कराने का प्रयास करें।