कटिहार: जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 13 से 25 अक्टूबर तक नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों के दो-दो चयनित क्षेत्रों में रात के समय लोगों के रक्त के नमूने लिए जा रहे हैं ताकि फाइलेरिया संक्रमण की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके। सोमवार को मनसाही प्रखंड के मारंगी पंचायत से इस अभियान की शुरुआत की गई, जिसमें सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ सिंह की उपस्थिति में स्थानीय लोगों ने रक्त सैंपल देकर सहयोग किया।
डॉ. सिंह ने बताया कि ग्रामीण एवं शहरी दोनों इलाकों में स्थायी और रैंडम साइट्स के माध्यम से सैंपलिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सर्वे फाइलेरिया के प्रसार दर का सही अनुमान लगाने में मदद करेगा। इस अभियान में डब्ल्यूएचओ और पिरामल हेल्थ जैसी संस्थाएँ विभाग का सहयोग कर रही हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह, बीएचएम अनवर आलम, बीसीएम कल्पना, लैब टेक्नीशियन राजीव रमन, पिरामल हेल्थ प्रोग्राम अधिकारी अभिमन्यु कुमार, प्रोग्राम लीडर अभिजीत कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
डॉ. जे. पी. सिंह ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे को सफल बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने बताया कि रात 8:30 बजे से 12:00 बजे तक सैंपलिंग की जाती है, जिसमें 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं शामिल होती हैं। उन्होंने कहा — “हमारा लक्ष्य है कि जिन लोगों में फाइलेरिया के लक्षण मिलते हैं, उन्हें तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जाए ताकि जिले को इस बीमारी से मुक्त किया जा सके।”
भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (भीडीसीओ) एन. के. मिश्रा ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में दो चयनित साइटों पर स्थायी और रैंडम ब्लड कलेक्शन स्टॉल लगाए गए हैं। अब तक लक्ष्य से अधिक रक्त नमूने लिए जा चुके हैं जिन्हें माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के लिए भेजा गया है। जांच में जिन लोगों में फाइलेरिया परजीवी की पुष्टि होती है, उन्हें सुरक्षा की दवा (डीईसी टैबलेट) दी जा रही है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
वहीं पिरामल हेल्थ प्रोग्राम अधिकारी अभिमन्यु कुमार ने कहा कि “फाइलेरिया परजीवी रात के 8:30 बजे के बाद ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे सबसे सटीक तरीका है।” उन्होंने बताया कि आशा, आंगनबाड़ी सेविकाओं, पीआरआई प्रतिनिधियों और वार्ड पार्षदों की भूमिका इस अभियान में अहम है। उन्होंने कहा कि यह केवल स्वास्थ्य विभाग का नहीं, बल्कि समुदाय की जागरूकता और भागीदारी से जुड़ा मिशन है, जिसका उद्देश्य है — कटिहार को फाइलेरिया-मुक्त बनाना।

