PURNIA NEWS : धमदाहा में तीन दिवसीय सोहराय पर्व का भव्य समापन, आदिवासी संस्कृति की झलक ने मोहा मन

PURNIA NEWS : बिहार सरकार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री लेशी सिंह के प्रयासों से धमदाहा प्रखंड के हरिणकोल गांव में आदिवासी समाज के पारंपरिक और पवित्र पर्व सोहराय का तीन दिवसीय आयोजन अत्यंत हर्षोल्लास और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस पर्व ने न केवल आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाया, बल्कि समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर इसकी महत्ता को समझने का अवसर दिया।

गाय-बैल की पूजा से हुई शुरुआत

सोहराय पर्व के अंतिम दिन की शुरुआत मंत्री लेशी सिंह ने आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार की। उन्होंने महिलाओं के साथ गाय और बैल की पूजा अर्चना की, हरे चारे का भोग लगाया और गौमाता का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा, “यह पर्व मवेशियों, विशेष रूप से गाय और बैल, के सम्मान में मनाया जाता है। यह हमारी सृष्टि और प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है।”
पूरे आयोजन के दौरान मिट्टी के दीये जलाकर घरों, मवेशी शेड और बगीचों को सजाया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

तीन दिवसीय इस मेले में कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अंतिम दिन प्रसिद्ध गायक स्टीफन टुडू, अंजू हेम्ब्रम, देवनाथ मरांडी और टीना हेम्ब्रम ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
“एक शाम अमर शहीद तिलका मांझी के नाम” कार्यक्रम ने मेले में विशेष आकर्षण पैदा किया। स्टीफन टुडू ने कहा, “धमदाहा में आकर मुझे अपने घर जैसा महसूस हो रहा है। मंत्री लेशी सिंह का आदिवासी समाज के प्रति प्रेम और सम्मान प्रेरणादायक है।”

खेलकूद प्रतियोगिताओं ने जगाई ऊर्जा

पर्व के उपलक्ष्य में तीरंदाजी, घड़ा रेस और बिस्कुट रेस जैसे कई पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया। आदिवासी युवा और युवतियों ने उत्साहपूर्वक इनमें भाग लिया, जिससे मेले में रोमांच और ऊर्जा का माहौल बना रहा।

आदिवासी समाज के साथ भोजन और आत्मीयता

सोहराय मेला के समापन पर मंत्री लेशी सिंह ने आदिवासी समाज के साथ भोजन भी किया। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और खानपान के लिए जाना जाता है। उनका भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहतमंद भी होता है। मैं उनके बीच पली-बढ़ी हूं और इस समाज की बेटी होने का गर्व महसूस करती हूं।”

आदिवासी उत्थान के प्रति संकल्प

मंत्री लेशी सिंह ने कहा, “आदिवासी समाज का उत्थान और सम्मान ही मेरे जीवन का उद्देश्य है। मैं इस समाज के लिए हर संभव प्रयास करती रहूंगी।”
उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए पुलिस-प्रशासन, आयोजन समिति और सभी स्थानीय लोगों का आभार व्यक्त किया।

आदिवासी समाज की जीवंत परंपरा का उत्सव

सोहराय मेला ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध और जीवंत है। इस पर्व ने न केवल आदिवासी समाज की परंपराओं को सहेजने का काम किया, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक माध्यम भी बना।

धमदाहा के हरिणकोल में आयोजित यह सोहराय पर्व न केवल क्षेत्रीय उत्सव रहा, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और सामूहिकता के प्रति आदिवासी समाज के गहरे जुड़ाव का प्रतीक भी बन गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *