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क्या है बिहार और बिहार के किसानों से प्रधानमंत्री मोदी, NDA और BJP का बैर?

मधेपुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के बेगूसराय स्थित क्षेत्रीय मक्का अनुसंधान एवं बीज उत्पादन केंद्र को कर्नाटक के शिवमोग्गा में स्थानांतरित करने का फैसला लिया है, जिससे बिहार में किसानों के बीच असंतोष फैल गया है। खासकर उन किसानों में, जो नीलगाय और बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करते हुए भी मक्का उत्पादन में पूरे देश में अव्वल हैं। बिहार के प्रमुख जिलों—पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर के किसानों की आय का मुख्य स्रोत मक्का ही है, और इस फैसले को किसान और बिहार विरोधी माना जा रहा है।

यहां पर एक सवाल उठता है, क्या मोदी सरकार और NDA सरकार बिहार और बिहारियों के विकास में कोई रुचि नहीं दिखा रही है? क्षेत्रीय मक्का अनुसंधान केंद्र की स्थापना 1997 में स्व. श्री इंद्र कुमार गुजराल के प्रधानमंत्री बनने के समय जनता दल की अगुवाई में की गई थी, और यह बिहार के किसानों के लिए एक अहम केंद्र था। लेकिन अब, बिहार में पहले से स्थापित संस्थान का दूसरे राज्य में शिफ्ट किया जाना, बिहार के विकास की दिशा में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

इसके अलावा, बिहार के लिए कोई नई संस्थान या उद्योग स्थापित करने के बजाय इस फैसले को NDA सरकार की नकारात्मक राजनीति के रूप में देखा जा रहा है। खासकर, बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए यह कहा जा रहा है कि वे अपनी जनता के हितों के खिलाफ चुप हैं और केवल हिंदू-मुस्लिम के मुद्दों पर राजनीति करते हैं। इस पूरे मामले को लेकर राजद कार्यकर्ता कुंदन सिंह ने आरोप लगाया कि बिहार में मोदी सरकार और NDA की सरकार ने बिहार और बिहारियों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।

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