PURNEA NEWS : कहा जाता है रमजान के महीने की आखिरी जुमा को ही अलविदा की जुमा कहा जाता है .इस जुमे के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाते है. जुमा अलविदा रमजान माह के तीसरे अशरे (आखिरी 10 दिन) में पड़ता है.तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का अशरा होता है. इस जुमे को साल भर पड़ने वाले जुमे से अव्वल माना जाता है.मुकद्दस रमजान रहमत और बरकत का महीना है.आज 25 वें रोजे को अलविदा जुमा है.लोग नए-नए कपड़े पहनकर, सिर पर रंग-बिरंगी टोपियां लागकर अलविदा जुमा की नमाज अदा की .माहे रमजान के अलविदा जुम्मे को लेकर क्षेत्र के विभिन्न मस्जिदों में शुक्रवार को भारी संख्या में अकीदत मंदों ने सामूहिक रूप से जुमे की नमाज अदा की. बच्चे बूढ़े सहित पुरुषों में खासा उत्साह देखा गया .रमजान के आखिरी जुमा आने पर नमाजियों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोजा रख कर एक तरफ जहां पांचों वक्त की नमाज अदा कर रहे हैं. वहीं नमाज में भी लोग अल्लाह से दुआएं मांग रहे हैं .रमजान के शुरुआती दिनों में हल्की बारिश के चलते मौसम सुहावना होने के कारण रोजेदार इसे अल्लाह की नेमत मान रहे हैं . रमजान का महीना सबसे मुकद्दस का महीना होता है.जामे मस्जिद अमौर के इमाम मो एहसानुल हक ने इस मुकद्दस महीना को अल्लाह के करीब इंसान के पहुंचने का महीना बताया. यह महीना रहमतों एवं बरकत का महीना है. इस महीने में रोजा रखकर पांचों वक्त नमाज पढ कर अल्लाह के करीब पहुंच सकते हैं . इस पाक महीना में अल्लाह की नेक रहमते एवं बरकत बंदों पर बरसती है . अल्लाह ने फरमाया है कि इस पाक महीने में जो बंदे गरीब लाचार असहाय लोगों को जकात देते हैं . अल्लाह उन पर मेहरबान होते हैं.वहीं बडाईदगाह में जामा मस्जीद ,मचछटा मस्जीद,दलमालपूर,बरबटटा, हफनिया,खाडी महीन गाँव,हरिपूर, रंगरैया लालटोली, हलालपुर के जामा मस्जीदों सहीत क्षेत्र के विभिन्न मस्जिद में अंतीम जुमा को रोजेदारों ने नमाज अदा किया.