Ratan Tata’s will : भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा, जिनका निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ, ने अपनी वसीयत में न केवल अपने परिवार और परोपकार के लिए, बल्कि अपने स्टाफ और पालतू कुत्ते टिटो के लिए भी उदार व्यवस्था की है। उनकी अनुमानित 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का बंटवारा इस तरह किया गया है कि यह उनकी मानवीयता और संवेदनशीलता को दर्शाता है। रतन टाटा ने अपने जर्मन शेफर्ड टिटो के लिए “असीमित देखभाल” की व्यवस्था की है। टिटो, जिसे उन्होंने छह साल पहले गोद लिया था, की देखभाल उनके लंबे समय के रसोइए राजन शॉ के जिम्मे होगी। वसीयत के अनुसार, टिटो की देखभाल के लिए हर तिमाही 30,000 रुपये दिए जाएंगे, जिसके लिए कुल 12 लाख रुपये अलग रखे गए हैं। इसके अलावा, राजन शॉ को व्यक्तिगत रूप से 1 करोड़ रुपये और उनके सहायक स्टाफ को 80 लाख रुपये दिए गए हैं। टाटा के बटलर सुब्बैया, जो तीन दशकों तक उनके साथ रहे, को भी 80 लाख रुपये की राशि दी गई है।
उनके घरेलू स्टाफ को भी उदारता से नवाजा गया है। सात साल से अधिक समय तक सेवा देने वाले नौकरों के बीच 15 लाख रुपये उनकी सेवा अवधि के अनुपात में बांटे जाएंगे। टाटा ने अपने स्टाफ को दिए गए निजी कर्ज भी माफ कर दिए, जिसमें उनके कार्यकारी सहायक शांतनु नायडू का 1 करोड़ रुपये का एमबीए ऋण और पड़ोसी जेक मलाइट का 23.7 लाख रुपये का ऋण शामिल है। स्टाफ के लिए कुल 3.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। संपत्ति का बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को दिया गया है, जिसमें उनकी 0.83% टाटा संस हिस्सेदारी (लगभग 3,800 करोड़ रुपये) शामिल है। उनके भाई जिमी टाटा और सौतेली बहनों शिरीन व डायना जेजेभॉय को भी हिस्सा मिला है, जिसमें बहनों को 800 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उनकी कार संग्रह (20-30 लग्जरी कारें) और पुरस्कार टाटा सेंट्रल आर्काइव्स को दान किए जाएंगे। यह वसीयत, जो बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट के लिए लंबित है, रतन टाटा के उस व्यक्तित्व को उजागर करती है, जो न केवल व्यापार में बल्कि मानवता और पशु प्रेम में भी एक मिसाल था। उनकी यह व्यवस्था निस्संदेह लोगों को सलाम करने पर मजबूर कर रही है।