PURNIA NEWS : पारंपरिक कोसी पेंटिंग की विरासत से जुड़ी नई पीढ़ी – Arteteria में कला कार्यशाला का भव्य समापन
PURNIA NEWS Arteteria : पूर्णिया के समीप स्थित Arteteria में आयोजित पांच दिवसीय निःशुल्क कोसी पेंटिंग कार्यशाला का आज उत्साहपूर्ण वातावरण में समापन हुआ। इस अवसर पर प्रतिभागी कलाकारों द्वारा निर्मित चित्रों की एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसे कला प्रेमियों ने भरपूर सराहना दी। बिहार के प्रसिद्ध चित्रकार श्री राजीव राज के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य उत्तर बिहार की समृद्ध लोक कला परंपरा ‘कोसी पेंटिंग’ को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को इससे परिचित कराना था। कोसी पेंटिंग शैली कोसी नदी क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत, स्थानीय जीवन, प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक कथाओं को रंगों के माध्यम से अभिव्यक्त करती है। कला विशेषज्ञ श्री राजीव राज पिछले तीन दशकों से चित्रकला के क्षेत्र में सक्रिय हैं और उनकी प्रतिष्ठित कृतियों का प्रदर्शन स्विट्जरलैंड, जापान और दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थलों पर हो चुका है। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में 37.5×37.5 फुट के आकार में अटल बिहारी वाजपेयी की विश्व की सबसे बड़ी पेंटिंग निर्माण शामिल है, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी पजल पोर्ट्रेट का निर्माण कर अंतरराष्ट्रीय, भारतीय और एशियाई रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज कराया है।
कार्यशाला में राहुल राज, हरि गोपाल, नुपुर कुमारी, मिता दास दत्ता, संचारी सोम, पूजा गुप्ता, प्रशांत और मेघना कर्मकार सहित अनेक प्रतिभाशाली युवा कलाकारों ने भाग लिया। इन कलाकारों ने पारंपरिक कोसी पेंटिंग शैली में नवीन प्रयोगों के साथ अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। राजीव राज की कला साधना का अन्य महत्वपूर्ण पक्ष है चित्रकला के माध्यम से सामाजिक संवेदनशीलता का प्रसार। उन्होंने 2007 में ‘अधूरी तस्वीर’ नामक एक फिल्म का निर्माण भी किया था, जो एक चित्रकार के जीवन संघर्ष पर आधारित है। कला शिक्षा के प्रसार के लिए उन्होंने Arteteria और M.J. School of Creativity की स्थापना की है, जहां चित्रकला के साथ-साथ तैराकी जैसी अन्य कलाओं का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। कार्यशाला के समापन समारोह में उपस्थित कला प्रेमियों ने प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई कोसी पेंटिंग्स की सराहना की और इस तरह के आयोजनों की निरंतरता की इच्छा व्यक्त की। इस आयोजन से न केवल एक पारंपरिक कला शैली का संरक्षण सुनिश्चित हुआ, बल्कि नए कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर भी मिला।