पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS सरकारी विद्यालयों का जैसे ही लोगों के जेहन में नाम आता है, उनका नाक-भौं सिकोडना आरंभ हो जाता है तथा इन विद्यालयों में पढानेवाले शिक्षकों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करने लगते हैं। परंतु इन विद्यालयों में भी कीचड में कमल की भांति शिक्षक भी मौजूद हैं, जिनका लक्ष्य सिर्फ बच्चों को पूरी तरह शिक्षित करना ही है। सोमवार को ऐसा ही तीनटंगा मध्यविद्यालय में देखा गया है, जहां एक शिक्षक अपना पूरा समय बच्चों को शिक्षा देने में बीताते हैं। यह बता दें कि तीनटंगा गांव स्थित विद्यालय के पोषक क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोग गरीब एवं मजदूर हैं। उनके पास बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकारी विद्यालय छोड कहीं कोई उपाय नहीं है। यह संयोग ही कहें कि उनके विद्यालय में मनीश जायसवाल नाम के शिक्षक हैं। वह विद्यालय में आनेवाले बच्चांे को अपने बच्चों से कम प्यार नहीं देते हैं तथा वह एक अभिभावक की तरह उन्हें शिक्षा देते हुए नजर आते हैं।
सोमवार को इस विद्यालय में शिक्षक मनीष जायसवाल को पढाने का तरीका देख स्वतः श्रद्धा से सिर झुक गया। दूसरी कक्षा में पढनेवाली बच्चियों को ब्लेक बोर्ड पर लिखी हुई गणित के अक्षरों को अपने सामने बैठे बच्चों को पढाते देखा तो, मुंह खुला-का-खुला रह गया। एक नजर में उन बच्चियों को देखकर नहीं लगा कि इतनी छोटी बच्चियां किस प्रकार बच्चों को पढाती होंगी, परंतु जब बच्चे को ब्लेकबोर्ड पर चार अक्षरों के जोड का ज्ञान बच्चों को बताते देखा तो, लगा कि वास्तव में मनीश एक सच्चे शिक्षकं का रोल अदा कर रहे हैं। मौके पर शिक्षिक मनीष जायसवाल ने बताया कि वह शिक्षक ही इसीलिए बने हैं।
वैसे समाज में यह कहावत भी है कि एक हाथ दो, दूसरे हाथ लो । आज तक वह उसी राह पर चलते आ रहे हैं। कुल मिलाकर प्रखंड में ऐसे शिक्षक बहुत कम देखने को मिल रहे हैं। काश, मनीश की तरह हर विद्यालय में शिक्षक होते, क्योंकि अब तो सरकारी विद्यालयों में वे ही बच्चे पढते दिखते हैं, जिनके अभिभावक के पास पब्लिक स्कूल में भेजने के लिए पैसे नहीं होते हैं। अधिकांश शिक्षकों को समय से पहले ही विद्यालय से बच्चों को भगाते देखा जाता है, हमेशा मोबाइल में ही व्यस्त देखा जा सकता है। हाजिरी बनाकर शिक्षकों को गायब होते देखा जाता रहा है। देखें इनकी राह पर कितने शिक्षक चलने का प्रयास करते हैं।