बैठक में आयोजकों ने समारोह के दौरान सात प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की, जो इस आयोजन का हिस्सा होंगे। इनमें सबसे प्रमुख था भारतीय संसद में जातियों, धर्मों और महापुरुषों के अपमान पर कड़ा कानून बनाना, ताकि कोई भी व्यक्ति समाज के किसी वर्ग को आहत कर देश के माहौल को बिगाड़ने में सफल न हो सके। आयोजकों ने यह भी प्रस्तावित किया कि बिहार के नव निर्माणाधीन बिहटा एयरपोर्ट का नाम ‘बाबू वीर कुंवर सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ रखा जाए, जिससे वीर कुंवर सिंह के योगदान को व्यापक स्तर पर सम्मान मिल सके।
इसके अलावा, बैठक में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि बाबू वीर कुंवर सिंह के योगदान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके शौर्य और बलिदान को जान सकें। इसके साथ ही, उनकी वीरता को सम्मानित करने के लिए ‘बाबू वीर कुंवर सिंह वीरता पुरस्कार’ की शुरुआत की जाएगी, जो हर साल उनके योगदान को याद करते हुए दिया जाएगा। बैठक में यह भी प्रस्ताव किया गया कि केंद्र सरकार किसी युद्धक विमान, युद्धक पोत या टैंक का नाम बाबू वीर कुंवर सिंह के नाम पर रखे, ताकि उनकी वीरता को हमेशा याद किया जा सके। इसके साथ ही, स्थानीय आर. एन. साव चौक का नाम ‘बाबू वीर कुंवर सिंह चौक’ रखने का भी सुझाव दिया गया, ताकि उनके योगदान को स्थायी रूप से सम्मानित किया जा सके।
बैठक के दौरान एक सवाल पप्पू यादव के विवादास्पद बयान पर भी पूछा गया, जिसमें उन्होंने संसद में पुराने राजाओं और रजवाड़ों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस पर आनंद मोहन ने कहा कि पप्पू यादव ने माफी मांग ली है और अब इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रायश्चित हमारी भारतीय परंपरा है, और ट्रोल करना किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है।
इस बैठक में प्रमुख रूप से आनंद मोहन, सिविल सर्जन पूर्णिया, जिला प्रशासन के अधिकारी, और स्थानीय समाजसेवी मौजूद थे, जिन्होंने इस आयोजन की सफलता के लिए अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए। सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि बाबू वीर कुंवर सिंह के योगदान को याद करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए यह समारोह ऐतिहासिक रूप से सफल बनेगा।