Murshidabad violence: पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ पूर्णिया में उग्र आक्रोश मार्च, ममता बनर्जी को बर्खास्त करने व राष्ट्रपति शासन की मांग
पूर्णिया: Murshidabad violence पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर लगातार हो रही हिंसा और मुर्शिदाबाद जिले में हुए हालिया खूनी संघर्ष के विरोध में पश्चिम बंगाल हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति के तत्वावधान में पूर्णिया में एक भव्य और उग्र आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया। यह मार्च दुर्गा बाड़ी मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर झंडा चौक, भट्टा होते हुए आर एन साह चौक पहुंचा, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला दहन कर उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों ने ममता सरकार पर हिंदू विरोधी, राष्ट्र विरोधी और जिहादी ताकतों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और केंद्र सरकार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तुरंत बर्खास्त कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की। इस आयोजन का नेतृत्व समिति के संयोजक विकास दास और सह संयोजक बब्लू झा ने किया।
कार्यक्रम में भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि वक्फ कानून के विरोध की आड़ में बंगाल को सुनियोजित तरीके से सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंका जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के 200 से अधिक घर और दुकानों को जला दिया गया, तीन निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई, और 500 से अधिक हिंदू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि वह न केवल दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रही है, बल्कि कई स्थानों पर उनका समर्थन और संरक्षण कर रही है। डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि ममता बनर्जी अब पीड़ितों की मदद करने के बजाय दंगा भड़काने वाले इमामों से मिल रही हैं और शरणार्थी हिंदुओं को वापस जिहादियों के बीच धकेलने की साजिश रच रही हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में भारत का संघीय ढांचा ध्वस्त हो चुका है, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को खुलेआम बसाया जा रहा है, उन्हें दस्तावेज दिए जा रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
इस मौके पर सीए राजीव कुमार ने कहा कि यह हिंसा किसी एक समुदाय के विरोध का नहीं, बल्कि हिंदुओं के अस्तित्व को समाप्त करने की सोची-समझी रणनीति है। उन्होंने ममता सरकार पर हिंदू समाज के विरुद्ध राजनीतिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। डॉ. सनोज कुमार यादव, अमित किशोर मृणाल, गौरव कुमार, अमित कुमार राठौर और रंजन वर्मा सहित बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शन के अंत में प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, पूरे घटनाक्रम की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कराई जाए, दोषियों को कड़ी सजा मिले, और विस्थापित हिंदू परिवारों को सुरक्षा, सहायता और पुनर्वास उपलब्ध कराया जाए। साथ ही वक्फ कानून की समीक्षा कर उसके दुरुपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की गई। प्रदर्शन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि देश के किसी भी कोने में हिंदू समाज पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके विरोध में अब जनआंदोलन खड़ा होगा।