अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह में सांप्रदायिक सौहार्द पर जोर, धर्म का सार है मानव कल्याण

नई दिल्ली : अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अंतर्गत अणुव्रत समिति गाजियाबाद की ओर से शुक्रवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित कार्यक्रम में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह की शुरुआत की घोषणा की गई। इस अवसर पर विभिन्न धर्म गुरुओं और विद्वानों ने समाज में बढ़ती असहिष्णुता को चिंता का विषय बताते हुए कहा कि सभी धर्मों की जड़ में शांति, सद्भाव और भाईचारे का संदेश निहित है। वक्ताओं ने कहा कि धर्म किसी भी तरह की नफरत या कट्टरता को प्रोत्साहित नहीं करता, बल्कि मानवता की सेवा ही उसका असली लक्ष्य है। कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों ने यह भी कहा कि धार्मिक भावनाओं के साथ वैज्ञानिक चेतना और तार्किक सोच को जोड़ना बेहद जरूरी है, ताकि समाज विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सके।

अणुव्रत आंदोलन की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए आयोजकों ने बताया कि आचार्य तुलसी द्वारा 1949 में शुरू किया गया यह आंदोलन आत्म-परिवर्तन और नैतिक उत्थान के जरिए एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में काम करता है। आयोजन में उपस्थित सभी अतिथियों ने ‘मार्ग अनेक, मंजिल एक’ की थीम को आत्मसात करने का संकल्प लिया और कहा कि विविधताओं में एकता ही भारत की असली ताकत है।

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