SAHARSA NEWS/अजय कुमार : मिथिला की धरती आदि शक्ति अवतार की भूमि माना जाता है। यहां घर घर में कुलदेवी एवं शक्ति पीठ के रूप में माता भगवती की पूजा आराधना की जाती है।वही माघ महीने में आयोजित होने वाले शिशिर नवरात्रि का समापन कुमारी कन्या भजन एवं हवन के साथ हुआ।पंडित रविंद्र कुमार झा ने बताया कि वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं।जिसमें आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि एवं चैत्र नवरात्रि प्रकट रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।वहीं आषाढ़ एवं माघ महीने में दो गुप्त नवरात्रि मनाया जाते हैं।उन्होंने कहा कि इन गुप्त नवरात्रि के दौरान सिद्ध साधक अपने विशेष साधना कर माता भगवती दुर्गा को प्रसन्न करती है। उन्होंने कहा कि माता अपने भक्तों को अभय एवं सुख समृद्धि का वरदान देती है। वही कठिन साधना करने वाले भक्तों को सुखी जीवन एवं निरोगी काया प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि माघ महीने के गुप्त नवरात्रि के दौरान ही विद्या की देवी माता सरस्वती पूजा धूमधाम से की जाती है। सरस्वती पूजा करने से विद्या बुद्धि वैभव शांति करुणा दया मैत्री एवं सुचिता तथा सादगी की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि मत्स्यगंधा स्थित काली मंदिर में चारों नवरात्रि पर जयंती उगाकर धूमधाम से माता की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के दौरान नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि शिशिर नवरात्रि के नौवे दिन कुमारी कन्याओं एवं बटुक भैरव का भोजन कराने का विधान है। इस दिन व्रत करने वाले को कुमारी कन्या भोजन एवं हवन के पश्चात पूजा पूर्ण मानी जाती है।