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पूर्णिया

PURNEA NEWS: पूर्णिया में “अनीमिया मुक्त भारत” और “बाल संवर्धन कार्यक्रम” को लेकर एकदिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न, सभी प्रखंड अधिकारियों को दी गई अहम जिम्मेदारी

पूर्णिया: PURNEA NEWS अनीमिया जैसी गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या के उन्मूलन और बाल संवर्धन को लेकर जिले भर में समन्वित प्रयास तेज़ कर दिए गए हैं। इसी क्रम में जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा होटल सेंटर पॉइंट में सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया की अध्यक्षता में एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य “अनीमिया मुक्त भारत” अभियान और समुदाय आधारित बाल पोषण संवर्धन कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना रहा।

कार्यक्रम में यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञों ने सभी प्रखंड के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आईसीडीएस अधिकारियों को अनीमिया की पहचान, रोकथाम और प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी। यूनिसेफ राज्य पोषण अधिकारी डॉ. संदीप घोष ने बताया कि अनीमिया की पुष्टि खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा के आधार पर की जाती है, जबकि लक्षणों जैसे पीलापन, थकान, सुस्ती, भूख न लगना, और बार-बार बीमार पड़ना इसके सूचक हो सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ. कनौजिया ने कहा कि “अनीमिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है और इससे निपटने के लिए विभागीय समन्वय और जनजागरूकता आवश्यक है।”

प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बच्चों, किशोरों, किशोरियों, प्रजनन आयु की महिलाएं एवं गर्भवती-धात्री महिलाओं में अनीमिया के रोकथाम के लिए आईएफए सिरप व गोली का वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। विशेषकर 6 से 59 माह के बच्चों, 5-9 वर्ष और 10-19 वर्ष की आयु वर्ग के किशोरों और किशोरियों को साप्ताहिक रूप से आयरन की खुराक दी जाएगी। साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से लेकर प्रसव के 180 दिन बाद तक आयरन की लाल गोली दी जाएगी।

मातृत्व अनीमिया की रोकथाम के लिए डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से जांच कर गंभीर मामलों में आयरन सुक्रोज द्वारा इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। सभी अधिकारियों को यह भी सिखाया गया कि अनीमिया ग्रसित व्यक्तियों को आयरन युक्त आहार जैसे हरे पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, कच्चा केला, काला चना, मछली, चिकन कलेजी आदि लेने की सलाह दी जानी चाहिए और उन्हें जंक फूड, चाय-कॉफी व नशीले पदार्थों से परहेज की जानकारी भी दी जानी चाहिए।

बाल संवर्धन के लिए कुपोषण प्रबंधन के दस चरण – वृद्धि निगरानी, सूजन की जांच, भूख परीक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, पोषण और चिकित्सीय प्रबंधन, साफ-सफाई और परामर्श, नियमित निगरानी और फॉलोअप जैसे बिंदुओं की जानकारी दी गई। साथ ही बताया गया कि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को एनआरसी (NRC) में रेफर कर उनके उपचार की पुख्ता व्यवस्था की जाए। इस प्रशिक्षण में डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीएम एंड ई आलोक कुमार, डीपीओ शिक्षा शशि रंजन, यूनिसेफ सलाहकार प्रकाश सिंह, जिला समन्वयक निधि भारती, सहयोगी समन्वयक शुभम गुप्ता सहित सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, फार्मासिस्ट, सीडीपीओ, और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने सभी विभागों को मिलकर कार्य करने और अनीमिया की रोकथाम एवं कुपोषण के विरुद्ध जमीनी स्तर पर प्रभावी कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “समय पर पहचान और उचित हस्तक्षेप से अनीमिया से सुरक्षा संभव है, और यही एक स्वस्थ और समृद्ध समाज की नींव है।”

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