SAHARSA NEWS,अजय कुमार : विश्व रंगमंच दिवस पर शशि सरोजिनी रंगमंच सेवा संस्थान सहरसा के नाट्य प्रशिक्षक, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म समानांतर के प्रोडक्शन नियंत्रक एवं वस्त्र डिजाइनर अभिनेता सह नाट्य निर्देशक कुन्दन वर्मा ने कहा कि रंगमंच दिवस कला के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने का दिन है। ऐसा करने के लिए, पिछले 6 दशकों से हर साल 27 मार्च को एक थीम का पालन किया जाता है। विश्व रंगमंच दिवस 2025 का थीम “रंगमंच और शांति की संस्कृति” है। अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई) हर साल विश्व रंगमंच दिवस के लिए कोई विशेष थीम निर्धारित नहीं करता है। “रंगमंच और शांति की संस्कृति” थीम पर केंद्रित रहेगा। यह थीम कहानी कहने और प्रदर्शन की शक्ति के माध्यम से शांति और समझ को बढ़ावा देने में रंगमंच की भूमिका पर प्रकाश डालती है।
दुनियाभर में रंगमंच के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसके प्रति लोगों में रुचि पैदा करने के मकसद से हर साल 27 मार्च को World Theatre Day मनाया जाता है। रंगमंच मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है बल्कि यह लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का भी बेहतरीन जरिया है।भारतीय रंगमंच के तीन प्रकार विकसित हुए: शास्त्रीय काल, पारंपरिक काल और आधुनिक काल। हिन्दी रंगमंच से अभिप्राय हिन्दी और उसकी बोलियों के रंगमंच से है। हिन्दी रंगमंच की जड़ें रामलीला और रासलीला से आरम्भ होती हैं। हिंदी रंगमंच संस्कृत नाटक, लोक रंगमंच एवं पारसी रंगमंच की पृष्ठभूमि का आधार लेकर विकसित हुआ है। भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में ‘नाट्य’ शब्द का प्रयोग केवल नाटक के रूप में न करके व्यापक अर्थ में किया है।