Bihar Election 2025: नरपतगंज का सियासी रण: राजद प्रत्याशी मनीष यादव को समर्थकों ने 1 क्विंटल दूध से नहलाया, सीट बनी यादवों के प्रभुत्व का केंद्र

अररिया, प्रिंस(अन्ना राय): Bihar Election 2025 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के द्वितीय चरण में 11 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले, अररिया जिले की नरपतगंज विधानसभा सीट का चुनावी पारा चरम पर है। इसी क्रम में, राजद प्रत्याशी मनीष यादव को शुक्रवार की रात मानिकपुर पंचायत के अमरोरी गाँव में जनसंपर्क अभियान के दौरान एक अनोखे स्वागत का सामना करना पड़ा, जहाँ समर्थकों ने उन्हें एक क्विंटल दूध से नहलाया और जीत का आशीर्वाद दिया। यह घटना दर्शाती है कि यादव बहुल इस सीट पर जातीय समीकरणों के साथ-साथ भावनात्मक जुड़ाव भी अपनी जगह बनाए हुए है।

भावनात्मक स्वागत और प्रत्याशी की प्रतिक्रिया
रात के समय जब राजद प्रत्याशी मनीष यादव अमरोरी गाँव पहुँचे, तो वहाँ पहले से मौजूद सैकड़ों समर्थकों ने उनका अभूतपूर्व स्वागत किया। समर्थकों ने राजद नेताओं और मनीष यादव के पक्ष में जमकर नारेबाजी की और उन्हें दूध से नहलाकर अपनी जीत का आशीर्वाद प्रदान किया। ग्रामीणों के इस प्यार को देखकर राजद प्रत्याशी मनीष यादव ने अपनी कृतज्ञता प्रकट की और आभार जताया। उन्होंने कहा कि जनता के इस तरह के प्यार से वह आत्मविभोर हैं और यह उनका दायित्व है कि वह जनता की सेवा के लिए हमेशा समर्पित रहें।

टिकट कटने और बगावत से त्रिकोणीय मुकाबला
यह चुनाव नरपतगंज में केवल मनीष यादव की राजनीतिक पारी की शुरुआत नहीं है, बल्कि एक जटिल पारिवारिक और राजनीतिक संघर्ष को भी दर्शाता है। राजद का नया चेहरा: मनीष यादव जो पहले राजद के जिलाध्यक्ष थे, उन्हें तेजस्वी प्रसाद यादव ने दो बार के पूर्व विधायक अनिल यादव का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया है।

बगावत: टिकट न मिलने से नाराज़ अनिल कुमार यादव भी निर्दलीय या अन्य पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।

चौतरफा चुनौती: मनीष यादव को न केवल अपने ही पार्टी के पूर्व विधायक अनिल यादव से, बल्कि दो अन्य पूर्व विधायकों से भी चुनावी भिड़ंत में हैं:

भाजपा प्रत्याशी देवयंती यादव: जो 2010 में नरपतगंज से भाजपा की विधायक रही हैं।

जन सुराज के जनार्दन यादव: जो भाजपा के टिकट पर चार बार विधायक रह चुके हैं।

रोम पोप का, नरपतगंज गोप का
नरपतगंज विधानसभा सीट का इतिहास बताता है कि यह क्षेत्र यादव बाहुल्य रहा है। यहाँ के लोगों की जीविका का प्रमुख साधन कृषि के साथ-साथ पशुपालन है। इस सीट को लेकर एक पुरानी कहावत भी प्रचलित है: “रोम पोप का और नरपतगंज गोप का (यादव का)।” 1962 में अस्तित्व में आने के बाद, नरपतगंज पहली बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था और पहली बार डूमर लाल बैठा चुनाव जीते थे। लेकिन 1967 में सामान्य सीट होने के बाद, अब तक हुए चौदह विधानसभा चुनावों में यादव समुदाय का ही कब्जा नरपतगंज पर रहा है। इस बार, चार यादव उम्मीदवारों (मनीष यादव, अनिल यादव, देवयंती यादव, जनार्दन यादव) के बीच सीधे मुकाबले से यह सीट सीमांचल की सबसे दिलचस्प और कांटे की टक्कर वाली सीटों में से एक बन गई है।

Share This Article
अंग इंडिया न्यूज़ एक समर्पित डिजिटल न्यूज़ पोर्टल है जो भारत की सांस्कृतिक गहराइयों, सामाजिक मुद्दों और जन-आवाज को निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है। हमारा उद्देश्य है—हर क्षेत्र, हर वर्ग और हर भाषा को प्रतिनिधित्व देना, ताकि खबरें सिर्फ सूचनाएं न रहें, बल्कि बदलाव की प्रेरणा बनें। हम न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को कवर करते हैं, बल्कि उन कहानियों को भी उजागर करते हैं जो आमतौर पर मुख्यधारा से दूर रह जाती हैं। अंग इंडिया न्यूज़ का हर लेख, हर रिपोर्ट और हर विश्लेषण एक सोच के साथ लिखा जाता है—"जनता की नज़र से, जनता के लिए।"
- Advertisement -

आपके लिए ख़ास ख़बर