Share Market Crash: एक झटके में निवेशकों के उड़े 20 लाख करोड़, क्या है बाजार के गिरने के 5 बड़े कारण?
Share Market Crash : 7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांकों में तीव्र गिरावट दर्ज की गई। इस भयंकर बिकवाली के चलते निवेशकों की संपत्ति में करीब 20 लाख करोड़ रुपये की कमी आई। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग 3,83,18,592.93 करोड़ रुपये तक गिर गया। इस गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण जिम्मेदार हैं। आइए, बाजार के इस क्रैश के पांच प्रमुख कारणों पर नजर डालते हैं:
- अमेरिकी मंदी की आशंका और वैश्विक बिकवाली
अमेरिका में हाल ही में कमजोर आर्थिक आंकड़ों, खासकर नौकरी सृजन में कमी और बेरोजगारी दर में वृद्धि ने वैश्विक निवेशकों में मंदी का डर पैदा कर दिया। इसके चलते अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट आई, जिसका असर एशियाई बाजारों पर भी पड़ा। जापान का निक्केई 7%, हांगकांग का हैंग सेंग 11% और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 5% से अधिक गिर गया, जिसने भारतीय बाजार में भी बिकवाली को बढ़ावा दिया। - अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का बढ़ता तनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सभी आयातों पर 10% और भारत (26%), चीन (34%) जैसे देशों पर ऊंची दरों के साथ नए टैरिफ की घोषणा ने व्यापार युद्ध की आशंकाओं को हवा दी। इससे निर्यात पर निर्भर भारतीय कंपनियों, खासकर धातु और आईटी सेक्टर पर दबाव बढ़ा, जिसके चलते निवेशकों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए। - विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली
विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी से बड़े पैमाने पर पूंजी निकाली। इस महीने अब तक 61,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हो चुकी है। मजबूत अमेरिकी डॉलर और बढ़ती बॉन्ड यील्ड ने FII को भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकालकर सुरक्षित बाजारों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। - महंगाई और RBI दर कटौती की उम्मीदों पर चोट
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.21% के 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जो RBI के 6% के ऊपरी लक्ष्य से ऊपर है। इससे केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कमजोर हुईं, जिसने बाजार की धारणा को और नुकसान पहुंचाया। ऊंची ब्याज दरें कंपनियों की उधारी लागत बढ़ाती हैं, जिससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित होती है। - कमजोर कॉरपोरेट आय और ऊंचा मूल्यांकन
कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीदों से कमजोर रहे, जिसने निवेशकों का भरोसा डगमगाया। इसके अलावा, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हाल के महीनों में आई तेजी के बाद मूल्यांकन बहुत अधिक हो गया था। जब बाजार में सुधार शुरू हुआ, तो इन शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, जिसने पूरे बाजार को नीचे खींच लिया।