PURNIA NEWS अभय कुमार सिंह : अरूणोदय के साथ ही बसंतपुर गांव का सूरज डूब गया, मच गया हाहाकार, हरओर ऐसा लगा मानो पूरे गांव में अंधेरा छा गया हो । ऐसा ही माजरा बसंतपुर गांव में अरूणचंद्र झा के पुत्र सूरज के साथ हुआ है । ऐसा तब हुआ, जब गांव के पंडिताई करनेवाले सूरज 24 वर्श त्रिमुहानी घाट पर अरूणोदय के समय, अपने भाई प्रीतम को बचाने मंे स्वयं गंगा मां की गोद में सदा के लिए सो गए । सूरज का शव अंत्यपरीक्षण के बाद गुरूवार को जैसे ही गांव पहुंचा, पूरा गांव चित्कार कर उठा । गांव में उसके शोक में चूल्हा तक नहीं जला है । पिता अरूणचंद्र झा अविरल आंसू बहाते हुए बस यही कह रहे थे कि उनका सूरज नहीं डूबता, वे ही अपने सूरज को जबरदस्ती गंगा किनारे त्रिमुहानी घाट पवित्र स्नान करने के लिए ले गए थे । वे सोचे भी नहीं थे कि उनका पुत्र उनकी गोद को सूनी कर, गंगा मां की गोद में सदा के लिए समा जाएगा । जिस पुत्र को गोद में खेलाया, जवान किया, आज जब उसके प्रकाश से पूरा घर चमक रहा था, वह उनका पालन कर रहा था, वह ही उन्हें छोडकर चला गया, पूरे घर को अंधेरा कर गया । इतना कहकर वे बेहोष हो जाया करते थे । ठीक इसी तरह मां अजिता देवी तो जब से पुत्र की मौत की खबर सुनी हैं, तबसे बेसुध पडी हुई है, बस यही कहती है कि मेरा सूरज कहां है ।
छोटा भाई प्रीतम अपने को कोशते हुए रोते हुए कह रहा था कि भैया उसे बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी । वही तो घर के असली चिराग थे, वे पंडिताई करके जो भी दान-दक्षिणा मिलता था, उससे पूरे घर का खर्चा उठाते थे । उसकी पढाई का खर्च भी वही देते थे, अब उसकी पढाई कैसे पूरी होगी । प्रीतम भी रोते-रोते बेहोश हो जा रहा था । बडा भाई अभिजीत झा, जो पूर्णिया में पाट्स की दुकान में मजदूरी करते हंै, उसका भी रो-रोकर बूरा हाल था । तीनों बहनें गुडिया कुमारी, गुडली कुमारी, नीतू कुमारी भी कल से ही अपने भाई की याद में चित्कार कर रही थीं । हरओर से बस आंसूओं में डूबे चेहरे या सिसकियां ही सुनाई पड रही थीं । स्थिति यह है कि पूरे गांव में सूरज इतना प्यारा थे कि उनके शोक में गांव में चूल्हा तक नहीं जला है । मौके पर गांव के युवक विषाल झा सहित सभी युवक कहते हैं कि सूरज वास्तव में सूरज के समान थे, जो सबको जगाते रहते थे । उनके चले जाने से निश्चित ही गांव में अंधेरा फैल गया है । भगवान उनकी आत्मा को शांति दें ।