SAHARSA NEWS,अजय कुमार : बिहार सरकार द्वारा सहरसा जिले में संचालित “महिला संवाद” कार्यक्रम ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिख दी है । यह कार्यक्रम न केवल महिलाओं को अपनी समस्याएं और विचार साझा करने का अवसर दे रहा है, बल्कि उन्हें समाज में अपनी भूमिका और अधिकारों के प्रति जागरूक भी कर रहा है ।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां वे अपनी आवाज सरकार तक पहुंचा सकें । साथ ही, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें । कार्यक्रम महिलाओं को शासन और विकास प्रक्रिया का सक्रिय हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है ।महिलाओं ने इस मंच का उपयोग घरेलू हिंसा, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता, रोजगार के अवसरों की कमी और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याओं को सामने लाने के लिए किया है । इसके साथ ही, उन्होंने समाधान के लिए रचनात्मक सुझाव भी दिए हैं । उदाहरण के तौर पर, सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड की सोनपुरा पंचायत की सुलिना देवी ने सेनेटरी नैपकिन निर्माण इकाई की स्थापना का सुझाव दिया, जिससे महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार होगा ।कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने सामुदायिक भवन, खेल मैदान, जीविका भवन, लघु उद्योगों की स्थापना, गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने, सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता और सौर ऊर्जा आधारित बिजली जैसे विषयों पर अपनी मांगें रखीं । साथ ही, ऋण पर ब्याज दर में छूट और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई ।महिला संवाद ने महिलाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का संचार किया है । महिलाएं अब केवल लाभार्थी नहीं रह गई हैं, बल्कि वे सामाजिक बदलाव की वाहक बन गई हैं । वे शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, नशा मुक्ति और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर न केवल जागरूकता फैला रही हैं, बल्कि सामुदायिक नेतृत्व में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। 18 अप्रैल 2025 से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अब तक सहरसा जिले के 516 ग्राम संगठनों में 12 प्रचार रथों के माध्यम से महिला संवाद का आयोजन हो चुका है । 22वें दिन तक 1.3 लाख से अधिक महिलाओं ने भाग लिया, जिसमें से 12,315 महिलाओं ने मंच पर अपने अनुभव और सुझाव साझा किए । यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है । “महिला संवाद” ने न केवल महिलाओं को एक नई पहचान दी है, बल्कि उन्हें समाज के निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर भी प्रदान किया है । महिलाएं अब अपनी समस्याओं का समाधान चाहती हैं और उनके समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने को तत्पर हैं ।