BIHAR POLITICS : नीतीश का शासनकाल लालू यादव के जंगलराज से भी बदतर – प्रशांत किशोर

BIHAR POLITICS : प्रशांत किशोर एकदिवसीय दौरे पर मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं। जहां उन्होंने प्रेसवार्ता कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज बिहार की स्थिति लालू यादव के जंगलराज से भी ज्यादा बदतर हो चुकी है। नीतीश कुमार के शासनकाल में अधिकारियों का जंगल राज है। नीतीश कुमार की राजनीतिक नैतिकता खत्म हो चुकी है, एक समय था जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे और पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना में 200 लोगों की मृत्यु पर, यही नीतीश कुमार इस्तीफा दे दिए थे, आज इनकी पार्टी विधानसभा में हार चुकी है। 243 में से सिर्फ 42 सीट है। लेकिन ये मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है, उन्हें सिर्फ कुर्सी पर बैठने है चाहे भाजपा के साथ रहे या फिर राजद के। जनता की समस्याओं से उन्हें कोई मतलब नहीं।

प्रशांत किशोर ने बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी से सीधे सवाल किए। उन्होंने कहा कि RBI का आंकड़ा बता रहा है कि 1990 से लेकर अभी तक, बैंकों के माध्यम से 26 लाख करोड़ रुपये की पूंजी दूसरे राज्यों में चली गई। उन्होंने सरकार से मांग की कि सीडी रेशियो के आंकड़े जनता के सामने रखें और बताएं कि आखिर बिहार की पूंजी राज्य में बाहर क्यों भेजा गया। प्रशांत किशोर ने बिहार में गरीबी और बेरोजगारी को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिहार में 80% लोग रोज 100 रुपये भी नहीं कमा पाते। बिहार में प्रतिव्यक्ति आय 34 हजार रुपए हैं। अगर पटना और बेगूसराय को हटा दें तो प्रतिव्यक्ति आय मात्र 25 हजार रुपए है। लेकिन सरकार मनरेगा जैसी योजनाओं के फंड का सही उपयोग नहीं कर पा रही है।

Share This Article
अंग इंडिया न्यूज़ एक समर्पित डिजिटल न्यूज़ पोर्टल है जो भारत की सांस्कृतिक गहराइयों, सामाजिक मुद्दों और जन-आवाज को निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है। हमारा उद्देश्य है—हर क्षेत्र, हर वर्ग और हर भाषा को प्रतिनिधित्व देना, ताकि खबरें सिर्फ सूचनाएं न रहें, बल्कि बदलाव की प्रेरणा बनें। हम न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को कवर करते हैं, बल्कि उन कहानियों को भी उजागर करते हैं जो आमतौर पर मुख्यधारा से दूर रह जाती हैं। अंग इंडिया न्यूज़ का हर लेख, हर रिपोर्ट और हर विश्लेषण एक सोच के साथ लिखा जाता है—"जनता की नज़र से, जनता के लिए।"
- Advertisement -

आपके लिए ख़ास ख़बर